इस्राईल में कई राजनीतिक हल्कों में यह इस रिपोर्ट के बाद चिंता की लहर दौड़ गयी है कि इस्राईल के बहिष्कार का आंदोलन बीडीएस अमरीकी यूनिवर्सिटियों तक पहुंच गया है जबकि अमरीका के सक्रिय मज़बूत इस्राईली लाबी और इस्राईल से संबंधित संगठनों ने इसे रोकने का भरपूर प्रयास किया है।
इस्राईली मीडिया में हालिया दिनों में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की घटना के बाद इस बात पर चिंता प्रकट की जा रही है कि कहीं यह आंदोलन अमरीका की अन्य यूनिवर्सिटियों तक न पहुंच जाए।
न्यूयार्क में अमरीका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की लॉ फैकेल्टी में इस्राईली कांसलर, डेनी डेयान को एक भाषण का निमंत्रण दिया गया था जिसमें वह फिलिस्तीन में अवैध रूप से बनायी गयी यहूदी बस्तियों के क़ानूनी होने पर चर्चा करने वाले थे लेकिन जब उनके नाम का एलान हुआ और उन्होंने इस विषय पर भाषण आरंभ करना चाहा तो तो छात्रों ने सीटें छोड़ कर जाना शुरु कर दिया और इस्राईली कांसलर खाली कुर्सियों के सामने, यहूदी बस्तियों के कानूनी होने का झूठ, सच साबित करते रहे।
डेनी डायान उस वक्त मशहूर हुए थे जब सन 2015 में उन्हें ब्राज़ील में इस्राईल का राजदूत बनाया गया था लेकिन ब्राज़ील ने उन्हें स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था।
डेनी डेयान, गैर कानूनी यहूदी बस्तियों के बहुत बड़े समर्थक समझे जाते हैं और उन्हें फिलिस्तीनियों से दुश्मनी की वजह से भी शोहरत हासिल है लेकिन इन सब के बावजूद नेतेन्याहू ने उन्हें ब्राज़ील में इस्राईली राजदूत बनाया क्योंकि इस्राईल के ब्राज़ील से बेहद निकट संबंध थे मगर ब्राज़ील के 40 संगठनों और कई सांसदों ने इस तैनाती का विरोध किया था।
ब्राज़ील में विरोध के बाद डेनी डेयान को अमरीका के न्यूयार्क में इस्राईल का कांस्लर बनाया गया जहां अब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों ने उनकी मिट्टी पलीद कर दी।
याद रहे पूरी दुनिया में चल रहे "बीडीएस" आंदोलन की वजह से इस्राईल को विभिन्न क्षेत्रों में अरबों डॉलर का नुक़सान हो चुका है।
इस्राईल के बहिष्कार के लिए पूरी दुनिया में चलाए जा रहे बीडीएस आंदोलन की शुरूआत सन 2005 में हुई थी। इस आंदोलन के अंतर्गत विभिन्न कंपनियां, शैक्षणिक संस्थान और चर्च जनता से मांग करते हैं कि वह इस्राईल के साथ उस समय तक साथ किसी तरह का सहयोग न करें जबतक वह फ़िलिस्तीन की अत्याचारग्रस्त जनता के मूल अधिकारों को औपचारिकता प्रदान नहीं करता।
बीडीएस के तहत कई युरोपीय देशों ने भी इस्राईल की गैर कानूनी बस्तियों में बने सामानों पर प्रतिबंध लगा रखा है। मगर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की घटना इस्राईल के लिए यूं बड़ा झटका है कि अमरीका इस्राईल का सब से बड़ा समर्थक है और उसी के बल पर इस्राईल हर अपराध करता है।
यहूदी बस्तियों के कानूनी होने का झूठ, सच साबित करते रहे। title>